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- मेरठ यूनिवर्सिटी के कुलपति की अध्यक्षता में गठित हुई थी चार सदस्यीय कमेटी
- कमेटी ने हरियाणा और राजस्थान का उदाहरण देते हुए छात्रों को प्रमोट करने का प्रस्ताव दिया
- उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा- कमेटी की रिपोर्ट पर विचार हो रहा, दो जुलाई को अंतिम निर्णय
दैनिक भास्कर
Jun 30, 2020, 12:55 PM IST
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की वार्षिक परीक्षाएं हों या नहीं, इस पर दो जुलाई को अंतिम निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल, उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से चौधरी चरण विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रोफेसर एनके तनेजा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने परीक्षाएं न कराने की सिफारिश की है। इस पर शासन स्तर पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। लेकिन, अंतिम निर्णय सरकार बैठक के बाद दो जुलाई को लेगी।
48 लाख से ज्यादा छात्रों को प्रमोट किया जाएगा
राज्य विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं शुरू हुई थी कि लॉकडाउन हो गया था। फिर अनलॉक-1 के दौरान लखनऊ, गोरखपुर सहित अन्य विश्वविद्यालयों में परीक्षा के कार्यक्रम जारी कर दिए गए थे। इसको लेकर शिक्षक और छात्र दोनों विरोध करने लगे थे। शनिवार को उच्च शिक्षा विभाग ने प्रोफेसर एके तनेजा की अगुवाई में चार कुलपतियों की कमेटी बनाकर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी थी।
कमेटी ने परीक्षाएं रद्द करने की सिफारिश की है। परीक्षार्थियों को अंतिम परीक्षा के बेस्ट या औसत के आधार पर अंक दिए जाएं, इस पर आगे फैसला होगा। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि, सभी संभावनाओं पर मंथन चल रहा है। कमेटी की रिपोर्ट पर भी विचार किया जा रहा है। दो जुलाई को इस पर अंतिम निर्णय लेकर घोषणा की जाएगी।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा और राजस्थान का उदाहरण दिया
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच परीक्षाएं कराना जोखिम भरा हो सकता है। इसे देखते हुए ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सुझाव पर हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों ने अपने यहां विद्यार्थियों को पहले ही अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया है। ऐसे में यूपी जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य में परीक्षाएं कराने से मुसीबत खड़ी हो सकती है।
प्रोफेशनल कोर्सेज के छात्रों को भी मिलेगी राहत
यूपी के इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीटेक, बीफार्मा, एमबीए समेत विभिन्न कोर्सेज में पढ़ रहे सवा दो लाख विद्यार्थियों को भी बड़ी राहत मिलेगी। यहां भी परीक्षाएं न कराने का प्रस्ताव पहले ही शासन को भेजा जा चुका है। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की ओर से यह प्रस्ताव भेजा गया है।
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